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कृष्णा माई अपने बेटे को लकवे की बीमारी होने पर साई पर सवाल उठती है क्योंकि सभी उन्हें भगवान का रूप समझते थे, वह अपना दुःख साई के सामने ग़ुस्से में निकल देती है। कृष्णा माई साई से क्षमा माँगती है और अपने बेटे के दुःख को दूर करने के लिए कहती है साई उसकी बात सुनकर चुप चाप वहाँ से आगे बढ़ जाते हैं तो कुलकरनी मौक़ा देख कर उनके घर जाता है और उनके बेटे को दवा देता है ताकि साई को नीचा दिखा सके। श्यामा साई से कृष्णा माई की मदद ना करने की बात पूछते हैं। साई उन्हें बताते हैं की उसने अपनी माँ को शराब के नशे में लात मारी थी जिसकी सजा भगवान ने उसे सजा दी है इसलिए मैं उसकी मदद नहीं कर सकता। साई बाबा श्यामा के लिए खीर बनाते हैं और कहते हैं की वो अनशन भी ख़त्म कर देगा और वणी भी चला जाएगा। साधु बाबा श्यामा के घर आ जाते हैं। श्यामा अपने अनशन के बार में उन्हें बताता है की वो जल्द ही अनशन के कारण मर जाएगा तो साधु बाबा श्यामा को समझाते हैं की उसकी मृत्यु और कार्य काल ऊपर वाले के हाथ में है। वो उसे कहते हैं की अभी उसका बहुत से कार्य अधूरे पड़े है। साधु बाबा श्यामा का भूतकाल और भविष्यकाल को पड़ते हैं ताकि उस के बारे में जान सके। साधु बाबा श्यामा की जनम कुंडली पढ़ कर देखते हैं और उसे याद दिलाते हैं की बचपन में वो बीमार पड़े थे जिसके कारण उनकी माता ने देवी सप्त शृंगी से प्रार्थना की थी की वो माधव को लेकर उनके पास आएँगी और उनकी माता को भी स्तन में बीमारी हुई थी तो उन्होंने अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए प्रार्थना की थी और उन्हें चाँदी के स्तन अर्पण करने का भी प्रण लेती है। माधव भी ठीक हो गया था और उसकी माता भी लेकिन वो माता सप्त शृंगी से किया वादा पूरा करना भूल गयी थी और जब उनकी माता का अंत होने वाला था रो उनकी माँ ने ये सब पूरा करने के लिए श्यामा को कहा था। श्यामा भी उस बात को भूल गया था जिसके कारण अब वो कष्ट सह रहे थे। श्यामा यह सुनकर हैरान हो जाता है और दुःखी भी होता है की साई ने उसे कितनी बार कहा लेकिन उसने उनकी एक नहीं सुनी तो वो साई के पास जाता है। साई बाबा भी श्यामा के लिए खीर लेकर जा रह थे तो रस्ते में दोनों मिल जाते हैं श्यामा उनसे क्षमा माँगता है और कहता है की वो वणी ज़रूर जाएगा। साई बाबा श्यामा साई के हाथ में खीर देखता है तो वो उनसे छिन लेता है और सभी को साई का प्रसाद बाँटता है। दूसरी और श्यामा वणी जाने की तैयारी करता है ताकि वो अपना वादा पूरा कर सके। श्यामा साई के पास आकर उन्हें चाँदी के स्तन अर्पण करने की बात करता है तो साई उसे समझाते हैं की उसे वणी जाना ही होगा श्यामा वणी जाने के लिए आज्ञा माँगता है और अपनी पत्नी के साथ चल पड़ता है।