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Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 28 - Brij's Holi and Shri Krishna-Radha's love pastime गोकुल और बरसाना के दृश्य भाव विभोर कर देने वाले हैं। बरसाना में वृषभान के घर राधा का लालन पालन बड़े चाव के साथ हो रहा है तो उधर माता यशोदा अपने लल्ला कृष्ण को उनका प्रिय माखन खिला कर बड़ा कर रही हैं। राधा और कृष्ण सदैव एक दूसरे की स्मृतियों में डूबे रहते हैं और बड़े होते हैं। एक दिन राधा कृष्ण वृन्दावन में यमुना तीरे मिलते हैं और एक दूजे में खो जाते हैं। राधा के मन ही मन में प्रश्न उठ रहे हैं कि उनका कृष्ण से किस जन्म का नाता है। किन्तु इसका उत्तर भी स्वयं उनका हृदय जानता है कि कृष्ण और राधा का नाता जन्म जन्मान्तर का है। तभी राधा की एक सखी आकर उन्हें पुकारती है कि उनकी माता उन्हें बुला रही है। कृष्ण रोकते हैं तो राधा उन्हें वचन देती है कि कल वो उनसे मिलने पुनः आयेंगी। राधा कृष्ण को मना करती है कि वह मुरली बजाकर उन्हें अपने आने का संकेत न दें क्योंकि अब सभी जान चुके हैं कि मुरली गूँजने का अर्थ है कि कृष्ण राधा को पुकार रहा है। राधा अपनी सखियों के साथ घर वापस लौटती हैं तो मार्ग में उन्हें अपनी माँ मिल जाती हैं। माता कीर्ति विलम्ब होने का कारण पूछती हैं तो एक सखी बताती है कि नदी के तट पर वे सभी आपस में वार्ता कर रही थीं तभी एक मोटी मछली के काटने से राधा फिसल कर यमुना में डूबने लगी। परन्तु गोकुल के एक ग्वाले ने हाथ पकड़ कर राधा को डूबने से बचा लिया। कीर्ति भगवान को धन्यवाद देती हैं। वह उन्हें बताती हैं कि बरसाने और गोकुल वालों के बीच पंचायत चल रही है कि इस बार की होली किसके यहाँ होगी। राधा की सखी कहती है कि गोकुल वाले बरसाना आकर होली खेलने से डरते हैं क्योंकि उन्हें भय रहता है कि बरसाना की ग्वालिनें उनकी खूब कुटाई करेंगी। उधर पंचायत में वृषभान नन्दराय के प्रस्ताव पर सहमति देते हैं कि होली का आयोजन गोकुल में ही रखा जाये। यह निर्णय होते ही कृष्ण वहाँ पहुँचते हैं और नटखट अन्दाज में राधा की ओर देखकर कहते हैं कि तो बरसाना की ग्वालिनों से गोकुल वाले बहुत डरते हैं। इस पर राधा की एक सखी कहती है कि बरसाना की ग्वालिनें गोकुल जाकर भी वहाँ के ग्वालों को पीट सकती है। कृष्ण पुनः राधा की ओर देखकर कहते हैं कि उन्हें तो बरसाना की छोरियों से पिटने में भी आनन्द आता है। होली का दिन आता है। बृज में होली के रंगों के बीच फाग गाए जाते हैं। कान्हा और राधा एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। राधा गाते हुए कहती हैं कि वह पहले से ही प्रेम रंग में रंगी हुई है, अब उनपर कोई दूजा रंग क्या चढ़ेगा। यहाँ बृज की प्रसिद्ध लठ्ठमार होली का चित्रण भी किया गया है। गोकुल के ग्वाले बरसाना की ग्वालिनों को छेड़ते हुए रंग लगाना चाहते हैं। ग्वालिनें उनका स्वागत उन पर लठ्ठ बजाते हुए करती हैं। ग्वाले सिर पर ढाल लेकर अपना बचाव करते हैं। रंग खेलने के बाद सभी यमुना में स्नान करने जाते हैं। स्त्रियों के घाट पर कीर्ति और यशोदा अपने बच्चों के बारे में बात करते हुए अपनी युवावस्था के दिन याद करती हैं। उधर स्नान से पूर्व एक पुष्प वाटिका में राधा कृष्ण के साथ पूरा प्रहर बिताती हैं। राधा की एक सखी ललिता उनके मार्ग पर पहरा देती है। जबकि एक सच्चाई यह भी है कि ललिता स्वयं भी मन ही मन कृष्ण से प्रेम करती है किन्तु यह प्रेम इतना समर्पण भाव लिये हुए है कि वह राधा के प्रेम के आड़े नहीं आती। उधर वाटिका में कृष्ण और राधा आपस में वार्तालाप करते हैं। राधा कृष्ण को पुरुष होने का महत्व बताने का प्रयास करती हैं और कह जाती हैं कि यदि वह कृष्ण होती और कृष्ण राधा तो कितना मजा आता। इस पर कृष्ण राधा के समक्ष रूप परिर्वतन का प्रस्ताव रखते हैं। राधा इसे स्वीकार करती हैं और अपने साथ लायी घाघरा चोली कृष्ण को दे देती हैं। राधा स्वयं कृष्ण का मोर मुकुट धारण कर लेती हैं। ओढ़नी ओढ़ने के बाद तो कान्हा पूरी तरह स्त्रीवेश में आ जाते हैं। कृष्ण शरारत के साथ घूंघट के पीछे से कहते हैं कि अब वे पूरी तरह राधा बन चुके हैं। इस पर राधा एक बड़ी गहरी बात कहती हैं। वह अपने दर्द को शब्दों में उकेरते हुए कृष्ण से कहती हैं कि उन्होंने तो राधा का केवल बाहरी रूप धारण किया है किन्तु उनके वक्ष के भीतर राधा का हृदय कहाँ है, जो यह जानता है कि कृष्ण से दूर जाने की पीड़ा क्या होती है। वह कृष्ण को निर्मोही बताती हैं और कहती हैं कि कृष्ण जब मोहजाल में फँसेंगे, तभी राधा बन पायेंगे। कृष्ण राधा के उलाहने को स्वीकार करते हैं। गोलोक धाम में कृष्ण और राधा के अस्तित्व का दर्शन समझाते हैं। Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर Chief Asst. Director - Yogee Yogindar मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर Camera - Avinash Satoskar कैमरा - अविनाश सतोसकर Music - Ravindra Jain संगीत - रविंद्र जैन Lyrics - Ravindra Jain गीत - रविंद्र जैन Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव Cast / पात्र Sarvadaman D. Banerjee सर्वदमन डी. बनर्जी Swapnil Joshi स्वप्निल जोशी Ashok Kumar अशोक कुमार बालकृष्णन Deepak Deulkar दीपक डेओलकर Reshma Modi रेशमा मोदी Shweta Rastogi श्वेता रस्तोगी In association with Divo - our YouTube Partner #shreekrishna #shreekrishnakatha #krishna