У нас вы можете посмотреть бесплатно #MovementoftheEarth или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
पृथ्वी की गति (Movement of the Earth) : एक विस्तृत विवरण पृथ्वी सौरमंडल का एक महत्वपूर्ण ग्रह है, जिस पर जीवन संभव है। पृथ्वी स्थिर नहीं है, बल्कि निरंतर गति में रहती है। इसकी गतियाँ ही दिन-रात, ऋतु परिवर्तन, समय निर्धारण तथा जलवायु के विविध रूपों के लिए उत्तरदायी हैं। भूगोल और खगोल विज्ञान में पृथ्वी की गति का अध्ययन अत्यंत आवश्यक माना जाता है। पृथ्वी मुख्य रूप से दो प्रकार की गतियाँ करती है—घूर्णन (Rotation) और परिक्रमण (Revolution)। इनके अतिरिक्त पृथ्वी की कुछ अन्य सूक्ष्म गतियाँ भी होती हैं। 1. पृथ्वी का घूर्णन (Rotation of the Earth) पृथ्वी अपनी धुरी (Axis) पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। इस गति को घूर्णन कहा जाता है। पृथ्वी की धुरी काल्पनिक रेखा है, जो उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव को जोड़ती है। पृथ्वी इस धुरी पर लगभग 24 घंटे में एक पूरा चक्कर लगाती है। सटीक रूप से यह समय 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड होता है, जिसे नाक्षत्र दिवस (Sidereal Day) कहा जाता है। घूर्णन के प्रभाव दिन और रात का निर्माण – पृथ्वी का जो भाग सूर्य की ओर होता है, वहाँ दिन होता है और विपरीत भाग में रात। समय निर्धारण – देशांतरों के अनुसार स्थानीय समय में अंतर पृथ्वी के घूर्णन के कारण ही होता है। कोरिऑलिस बल (Coriolis Force) – पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनों और महासागरीय धाराओं की दिशा में विचलन होता है। ज्वार-भाटा में सहायता – चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के साथ पृथ्वी का घूर्णन ज्वार-भाटा को प्रभावित करता है। पृथ्वी का चपटा आकार – घूर्णन के कारण पृथ्वी ध्रुवों पर चपटी और भूमध्य रेखा पर उभरी हुई है। 2. पृथ्वी का परिक्रमण (Revolution of the Earth) पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) कक्षा में घूमती है। इस गति को परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा लगभग 365 दिन 6 घंटे में पूरी करती है। इसी अतिरिक्त 6 घंटे के कारण हर चार वर्ष में एक अधिवर्ष (Leap Year) आता है। परिक्रमण की विशेषताएँ पृथ्वी की कक्षा पूर्णतः वृत्ताकार नहीं होती। सूर्य के सबसे निकट स्थिति को पेरिहेलियन (Perihelion) कहते हैं (3 जनवरी के आसपास)। सूर्य से सबसे दूर स्थिति को अफेलियन (Aphelion) कहते हैं (4 जुलाई के आसपास)। परिक्रमण के प्रभाव ऋतु परिवर्तन – पृथ्वी की धुरी का झुकाव (23½°) और परिक्रमण मिलकर ऋतुओं को जन्म देते हैं। दिन-रात की अवधि में परिवर्तन – अलग-अलग ऋतुओं में दिन और रात की लंबाई बदलती रहती है। विषुव और अयनांत वसंत विषुव (21 मार्च) और शरद विषुव (23 सितंबर) को दिन-रात बराबर होते हैं। ग्रीष्म अयनांत (21 जून) को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। शीत अयनांत (22 दिसंबर) को सबसे लंबी रात होती है। जलवायु पर प्रभाव – पृथ्वी के विभिन्न भागों में तापमान और मौसम का निर्धारण। 3. पृथ्वी की धुरी का झुकाव पृथ्वी की धुरी अपनी कक्षा के तल से 23½ डिग्री झुकी हुई है। यदि यह झुकाव न होता, तो पृथ्वी पर ऋतुओं का अस्तित्व ही न होता। यही झुकाव सूर्य की किरणों के कोण को बदलता है, जिससे अलग-अलग समय पर विभिन्न गोलार्धों में तापमान में अंतर आता है। 4. पृथ्वी की अन्य गतियाँ घूर्णन और परिक्रमण के अतिरिक्त पृथ्वी की कुछ अन्य गतियाँ भी होती हैं— डोलना (Precession) – पृथ्वी की धुरी का धीमे-धीमे घूमना। न्यूटेशन (Nutation) – धुरी की हल्की डगमगाहट। प्लेट विवर्तनिकी गति – महाद्वीपीय प्लेटों की धीमी गति। हालाँकि ये गतियाँ बहुत धीमी होती हैं, फिर भी दीर्घकाल में पृथ्वी के भू-आकृतिक स्वरूप को प्रभावित करती हैं। मानव जीवन पर पृथ्वी की गति का प्रभाव पृथ्वी की गतियों के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। दिन-रात का चक्र जैविक घड़ी को नियंत्रित करता है। ऋतु परिवर्तन कृषि, वनस्पति और जीव-जंतुओं के जीवन चक्र को प्रभावित करता है। समय गणना, कैलेंडर और मौसम विज्ञान—all पृथ्वी की गति पर आधारित हैं। निष्कर्ष पृथ्वी की गति प्रकृति का एक अद्भुत और संतुलित तंत्र है। घूर्णन और परिक्रमण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है। इन गतियों की समझ न केवल भूगोल और खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए आवश्यक है, बल्कि मानव जीवन, पर्यावरण और भविष्य की योजनाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पृथ्वी की गति हमें यह सिखाती है कि निरंतर परिवर्तन ही प्रकृति का मूल नियम है। यदि आप चाहें, तो मैं इसे UPSC/SSC उत्तर लेखन शैली, डायग्राम आधारित व्याख्या, या संक्षिप्त नोट्स + बिंदु रूप में भी प्रस्तुत कर सकता हूँ।